मेरी इस जीतने की जिद में
कहीं तेरी हार ना हो,
मेरी इस चाहत को पाने में
कहीं तुम ही ना खो जाओ,
मेरे सपनों के पीछे
मैं कहीं तुम्हें ही ना दौड़ाऊँ,
तुम्हारे सपनों के बीच में
कहीं मैं ही आड़े ना आ जाऊं,
कुछ बातें ऐसी जो तुम्हें बता ना पाऊँ,
तो कुछ बातें ऐसी जो तुम्हें समझा भी ना चाहूँ,
डर है, कहीं कल इस भीड़ में
कहीं तुमसे बिछड़ ना जाऊँ,
बस, तुम हाथ थामना मेरा
जब इन राहों में मैं भटकने लगूँ,
बस तुम साथ देना मेरा
जब मैं अपने आप से ही रूठ जाऊँ