दोस्ती-दुश्मनी

लहरों को चीरने के जोश में,
हम लहरों के साथ तैरना भूल गये !

बाजी जीतने के जोश में,
हम दोस्ती निभाना भूल गये !

सफलता की चाहत में ,
हम इंसान बनना भूल गये !

मुश्किलों के सामने ,
हम हँसना भूल गये !

ज़िंदगी के बोझ तले ,
हम जीना भूल गये|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *