एह वक़्त गुज़र जा,
थके हुए लम्हों की छाया में,
मंज़ूरी की गुहार, दिल की आहें।
एह वक़्त गुज़र जा,
साये में छुपी ये यादें भी हैं बेरुक़ी,
अरे वक़्त, एक बार फिर, मुस्कुरा दे मुझे।
एह वक़्त गुज़र जा,
रातों की चाँदनी में, न दिख रही है राहें नई,
एक नया सवेरा ला, मेरे दिल की ख्वाहिशों को सजाकर।
एह वक़्त गुज़र जा,
हर साँस में जो छुपा एक गीत है,
इस गीत को मुस्कुराहट से सवार कर दे।
एह वक़्त गुज़र जा,
मिल सुकून से,
इस मन को आराम का वादा कर दे।
ऋत्विक.