कर्ज के आशियाने ऋत्विक.Jul 29, 2024Jul 29, 2024 लेकर के कर्जों के बोझ कधों परहम सपनों का आशियाना बसाने चले,आशियाने से दुर, खुद को मसल करहम कर्जों के बोझ उतार ते चले| <span class="nav-subtitle screen-reader-text">Page</span> Previous PostA ViewNext PostMumbai is where we want to be. Related Posts Papa जिस नाम को समझ ने में मेरी आधी उमर गुजर... ऋत्विक.Aug 18, 2025 हक है लोगों को हक है लोगों को, की हमारी काबिलियत पर शक करें;... ऋत्विक.Aug 5, 2025Aug 10, 2025 ठोकरें सौ ठोकरें खाके दुनिया से, हम ने भी कुछ सीखा... ऋत्विक.Aug 5, 2025Aug 10, 2025 Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
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