हक है लोगों को, की हमारी काबिलियत पर शक करें;
आखिर उनके तानों से ही तो ज़हन में आग लगी है,
वरना कब का थक गये थे हम, राह देख किस्मत की।
हक है लोगों को, की हमारी काबिलियत पर शक करें;
आखिर उनके तानों से ही तो ज़हन में आग लगी है,
वरना कब का थक गये थे हम, राह देख किस्मत की।